गुरुवार, 11 दिसंबर 2008

गोविंदा माला दीक्षा में- करें

(1) मालाधाराणम :- तिरुमाला यात्रा, के लिए प्रधान कर्तव्य है मालाधाराणम। जहाँ तक सम्भव, हो माला गुरु स्वामी, जिनके साथ भक्त यात्रा करने की इच्छा करता है, के माध्यम से पहनी जाए। अगर गुरु स्वामी से संपर्क न हो सके, तो किसी भी वेंकटेश्वर स्वामी मन्दिर में पुजारी के माध्यम से पहनी जाए। माला रुद्राक्षम या तुलसी या चंदन की हो सकती है।
(2) जैसा की मुख्य सिद्धांत है, पहले माला पहनी जाए और फिर व्रथम प्राम्भ करें जिसका कम से कम ४१ दिनों तक निरीक्ष्रण किया जाए और यात्रा पूरी होने से पहले समाप्त की जाए।
(3) माला धारण के दिन से और व्रथम के समाप्त होने तक, भक्त दिन में दो बार स्नान करें, अर्थात, प्रातकाल से पहले और सूर्य अस्त होने के बाद और दोनों ही समय पूजा की जाए। पूजा समाप्ति से पहले गोविंदा नामालू का ही जाप करें ।
(4) ब्रह्मचर्य :- व्रथम अवधि के दौरान तिरुमाला से दर्शनं करने के बाद घर आने तक ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन किया जाए ।
(5) व्रथम अवधि के दौरान, भक्त सिर्फ़ अल्प भोजन करें।
(6) इस अवधि के दौरान हमेशा सच बोलें और वहुत कम बोले ।
(7) आप अपनी जीविका हेतु जो भी दैनिक कार्य करते हैं , उसे आप भगवान् श्री वेंकटेश्वर स्वामी में पूर्ण आस्था रखते हुए सही तरीके से करें।
(8) सभी जीवित प्राणियो के साथ, अपनी ही तरह ईश्वर का रचना मान कर व्यव्हार करें।
(9) दूसरो के साथ बात करते समय (चाहे वह कोई स्वामी हो या नही ) प्रत्येक शब्द के साथ तारका मंथ्रम , अर्थात गोविंदा स्वामी शरणं कहा जाए।
(10) जहाँ तक सम्भव हो छोटे गोविंदा स्वामी समूह में रहने की कोशिश करें जिससे की यात्रा और व्रथम के बारे में आपको ज्यादा अनुभव हो सके ।
(11) इस अवधि के दौरान, जहाँ तक सम्भव हो पूजा और भजनों में भाग लें।
(12) यात्रा समाप्ति की दिनांक से पहले, अगर सम्भव हो तो अपनी क्षमतानुसार, छोटी सी पूजा करें और गरीव और जरूरतमंद लोगों के लिए अन्न दान का प्रबंध करें। सभी सम्बन्धित पुस्तकें बतलाती हैं की स्वामी को गरिवों के लिए अन्नदानं करना चाहियें भक्तों को बड़ी दावत देकर यह कल्पना करना की हम भगवान् श्री वेंकटेश्वर स्वामी को संतुश्हत कर रहे हैं, बहुत बड़ा पाप है, क्योंकि इस अवधि के दोरान भक्तों को सीमित भोजन ही करना चाहियें ।
(13) हमेशा शांत रहने की कोशिश करें और ऐसे में जब दूसरे आपको ललकारे तो भी आप अपने आप पर नियंत्रण रखेईं और सिर्फ़ ''ॐ नमो वेंकत्शय '' कहें।
(14) सभी पुरुषों और लड़कों को "गोविन्दा या स्वामी" (ना केवल वृथम गोविन्दा को) कह कर बुलायें। इनमें स्त्रियाँ, लड़कियाँ और आपकी पत्नी भी शामिल है।
(15) गोविन्दा माला दीक्षा के मुख्य सिद्धांतों में से एक यह है कि सभी धर्मों और जातियों को एक ही समझा जाए। कोई भी (चाहें वह ईसाई, मुस्लिम या किसी और धर्म का है) वेंकेटेश्वर स्वामी में आस्था रख उनकी पूजा कर सकता है। महिलायें पूजा और भजनों में भाग ले सकती हैं, लेकिन 10 वर्ष से कम उम्र की लड़कियाँ जिन्होंने प्रौढ़ता प्राप्त नहीं की है और वो महिलायें जिनका एक निश्चित उम्र के बाद मासिक धर्म बन्द हो चुका है, वृथम का पालन करते हुए यात्रा कर सकती हैं।
(16) मन, वचन और कर्म से भगवान के प्रति पूर्ण आस्था रखें।

(17) हालाँकि इस वृथम और यात्रा के दौरान कोई विशेष वस्त्र धारण नहीं करने होते हैं, फिर भी अगर आप पीले या केसरिया वस्त्र धारण करें जिससे की आपकी गोविन्दा या दीक्षा के रूप में पह्चान हो सके।
(18) जैसा कि आपका मन हमेशा श्रद्धा से परिपूर्ण है, यह आवश्यक है कि आप अपने माथे पर कम से कम विभूति, कुमकुम, चन्दन या नमम लगायें।

रविवार, 7 दिसंबर 2008

गोविंदा माला दीक्षा में न करें :

(1) दूसरों से बात करते समय एकवचन रूप अर्थात वह, यह इत्यादि का उपयोग न करें । (2) कम से कम माला धारण की दिनांक से और व्रथम के आरंभ से दर्शनम के बाद घर आने तक तथा माला उतारने तक किसी तरह का मधपान न करें और माँसाहार खाने से बचें । (3) इस अवधि के दोरान तेल स्नान न करें । धूम्रपान और पान आदि का सेवन न करें । (4) किसी भी परिस्थिति में नाराज़ न होवें । (5) झूठ न बोलें
6) अपशब्द बोल कर या फिर अपने कार्यकलापों से दूसरों की भावनाओं को ठेस न पहुँचायें । (7) मृत्यु समारोह में भाग न लें । अगर किसी करीबी रिश्तेदार की मृत्यु हो जाती है, तो अपनी पारिवारिक परम्पराओँ का पालन करें और जहाँ तक सम्भव हो इस समय यात्रा में भाग न लें । गुरु स्वामी की सलाहानुसार, अगर मृत्यु किसी दूर के रिश्तेदार की हुई है, तो आप माला उतार सकतें हैं, उस अवधि में दीक्षा को हटाए बिना, प्रातकाल का ध्यान कर स्नान करें, और मृत्यु संस्कार के पूर्ण हो जाने के बाद, तीन बार थोड़े से गाय का गोबर इस्तेमाल कर स्नान करें और फिर १०८ बार गोविन्द नामालू / "ॐ नमों वेंकेटशाय" का उच्चारण करें या फिर आप गायत्री मंत्र उपदेशम का पालन करते हैं तो १०८ बार इसका उच्चारण करें । मन्दिर में या गुरुस्वामी के माध्यम से पंचागाव्यम द्वारा अपनी माला को शुद्ध कर धारण करें । (8) किसी भी जीवित प्राणी को न सतायें । (9) अवेध तरीके से धन न कमाएँ । (10) किसी भी गोविंदा को चाहें आपका शिष्य ही क्यों न हो डाटें नहीं।(11) दूसरों में ग़लतियाँ न ढूँढें । (12) इस अवधि के दौरान अदालती मामलों में भाग न लें और हर किसी की सुनिश्च्चता का ख्याल रखें । (13) ऐसे नाटकों और सिनेमा में, जिनमें आपको अनेच्छिक दृश्यों को अभिनय करना पङे , भाग न लें और ऐसे सिनेमा को देखने से भी बचें । (14) जाने, अनजाने कोई अपराध न करें । (15) ऐसी महिलाओं जो मासिक धर्म से हैं, उनके पास न जायें और उन्हें न छुयें । अगर ऐसा होता है तो सलाह दी जाती है की तुरंत स्नान करें और कोई दूसरा काम करने से पहले, उपलब्ध हो तो "पंचागाव्यम " या फिर गोविन्द नामालू / "ॐ नमों वेंकेटशाय" का १०८ बार जाप करें । (16) इस अवधि के दौरान अपनी शेव और बाल न कटवाएं । (17) दिन में सोने से बचें और रात में देर तक न सोयें । जहाँ तक सम्भव हो ताज़ा भोजन करें और बाहर का भोजन करने से बचें। अगर आपको विषम परिस्थितियों में बाहर का भोजन करना पङे, तो स्नान करने के बाद ही भोजन करें और धन को फिजूल खर्च न करें । दर्शनं करने और घर पहुचने के बाद ही माला उतरें । घर आकर प्रवेशद्वार पर नारियल तोरें पूजा स्थल पर प्रसादम रखें , स्नान करें , नैवेद्यम के साथ प्रसादम हेतु हरथी करें , अपनी पूरे परिवार को प्रसादम बातीं और फिर "ॐ नमो वेंकतेशाया " का उच्चारण करें फिर अगर आप माला उतारने के मंत्रो को जानते हैं तो इसका उच्चारण कर ख़ुद ही माला उतारिने। मार्ग में ही माला उतारने की स्वीकृति नही है।

गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

अन्य

अन्य
सोने के लिए चटाई , तकिये के विकल्प के लिए लकड़ी का लट्ठा इस्तेमाल करें
धार्मिक एवं अध्यात्मिक पुस्तकें /कैसेट्स /सीडी या डीवीडी


श्री वेंकेट्श्वेर सुप्रभातम
श्री वेंकेट्श्वेर अस्तोथारानामम
गोविंदा नामालू
भजन और संबंधित ---


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मंगलवार, 2 दिसंबर 2008

पूजा का सामान

पूजा एवं संबंधित सामान

भगवान वेंकेटश्वर स्वामी की फोटो /चित्र
भगवान वेंकेटश्वर स्वामी की मूर्ति (वैकल्पिक)

१०८ माला - भगवान वेंकेटश्वर स्वामी की तुलसी माला - 1 (पहनने के लिए )

१०८ माला - भगवान वेंकेटश्वर स्वामी की चंदन /रुद्राक्ष /बिल्लोर की माला - १ (पहनने के लिए )

१०८ माला - चंदन /तुलसी /बिल्लोर की माला - १ (जप /जपं के लिए )

तेल
गाय का घी
दीया - २ (मिट्टी /पीतल )
घंटी (पीतल )
गिलास - छोटा , मझला एवं बडे आकार का (चाँदी /ताम्र /पीतल /इस्पात )
तस्तरी - चोटी , मझली एवं बडे आकार की (चाँदी /ताम्र /पीतल /इस्पात )
चम्मच - choti , मझली एवं बड़ी आकार की (चाँदी /ताम्र /पीतल /इस्पात )
रुई
कुमकुम
पीसी हल्दी /पसुपु
चंदन
विभुथी (पवित्र राख )
नाम (श्वेत , पीला एवं केसरिया /नारंगी /लाल )
गुलाब जल
चावल (गुलाब जल , कुमकुम और पसुपु के मिश्रण सहित )
अगरबत्ती
कपूर

मिठाई (मिश्री /कल्कंद )
नारियल
सुपारी
पान का पत्ता
दक्षिणा

गुरा
पुष्पों की माला
फल (सेव , संतरा , केला …)

शहद की चोटी शीशी वैकल्पिक
वे (, काजू , बादाम …वैकल्पिक।
छोटा तोलिया (निजी उपयोग हेतु )

सोमवार, 1 दिसंबर 2008

दीक्षा के दौरान आपको जो काम करने होंगे ----
गोविन्द माला /दीक्षा के दौरान आपको जो करना होगा
गोविन्द माला /दीक्षा में उच्चारित करें - "ॐ नमों वेंकेट्शाय"
गोविन्द माला /दीक्षा में हमेशा दूसरो को "गोविंदा/गोविन्दा स्वामी कह कर संबोधित करें
कपड़े (पीले अथवा केसरिया वस्त्र धारण करें)
तोलिया - ३
कमीज़/धोती - ३ (पुरुषों के लिए )
साडी/ ब्लाउज (महिलाओँ के लिए )
कमीज़/पजामा (बालकोंके लिए )
स्कर्ट /ड्रेस (बालिकाओँ के लिए )




























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